dgca audit finds multiple lapses in airlines

dgca audit finds multiple lapses in airlines

अहमदाबाद में 12 मई को एअर इंडिया विमान हादसे के बाद से भारत में विमानन क्षेत्र से जुड़ी कई चिंताजनक खबरें सामने आ रही हैं। रोजाना कभी किसी विमान में तकनीकी खराबी की सूचना मिलती है, तो कभी उड़ान से पहले सुरक्षा नियमों की अनदेखी का मामला उजागर होता है। ये घटनाएँ न सिर्फ यात्रियों की जान के लिए खतरा पैदा कर रही हैं, बल्कि भारतीय विमानन प्रणाली की साख पर भी सवाल खड़े कर रही हैं।

नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने इस बढ़ती हुई चिंता को देखते हुए 19 जून से एक व्यापक “फोकस ऑडिट” की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य देश की विमानन व्यवस्था में सुरक्षा से जुड़ी कमियों को उजागर कर उन्हें सुधारना है। हम आपको बता दें कि दिल्ली और मुंबई जैसे प्रमुख हवाई अड्डों पर निरीक्षण के दौरान कई गंभीर खामियाँ सामने आई हैं जैसे- विमानों में मरम्मत कार्यों में सुरक्षा उपायों की अनदेखी हो रही है, उड़ान से पहले AME (विमान रखरखाव अभियंता) की गैर-हाजिरी या लापरवाही की बातें सामनें आईं, रनवे की फीकी सेंटर लाइन और टैक्सीवे की खराब लाइटिंग जैसी बुनियादी समस्याएँ सामने आईं और आपातकालीन उपकरण जैसे लाइफ वेस्ट्स सही जगह पर नहीं पाये गये। ऑडिट के दौरान यह भी सामने आया कि एक नियमित घरेलू उड़ान को घिसे हुए टायरों के कारण रोका गया और आवश्यक सुधार के बाद ही उड़ान की अनुमति दी गई। इसके अलावा, ग्राउंड हैंडलिंग उपकरण जैसे बैगेज ट्रॉलीज़ खराब स्थिति में पाई गईं। यह भी सामने आया कि विमान की मरम्मत के दौरान वर्क ऑर्डर का पालन नहीं किया गया। यह भी सामने आया कि हवाई अड्डे के आसपास कई नई निर्माण गतिविधियाँ होने के बावजूद कोई सर्वेक्षण नहीं किया गया।

हम आपको बता दें कि DGCA द्वारा की गई जांच में यह भी सामने आया है कि कुछ एयरलाइनों में खराबियों को समय पर ठीक नहीं किया जा रहा है और रिपोर्टिंग में लापरवाही बरती जा रही है। इसके अलावा, कुछ सिम्युलेटर विमानों से मेल नहीं खाते और उनके सॉफ़्टवेयर अपडेट तक नहीं हैं। ऐसे में पायलट प्रशिक्षण की विश्वसनीयता भी सवालों के घेरे में आ जाती है। नियामक ने कहा कि ऐसे कई मामले थे, जिनमें पहले पता चल चुकी खामियां विमान में फिर से दिखाई दीं, जिससे अप्रभावी निगरानी और अपर्याप्त सुधार का संकेत मिलता है।

यह बात भी सामने आई है कि इस स्थिति की वजह केवल लापरवाही ही नहीं बल्कि कई बार संसाधनों की कमी, प्रशिक्षित स्टाफ की अनुपलब्धता और आर्थिक दबाव भी हैं। देखा जाये तो भारत में विमानन उद्योग तेजी से बढ़ा है लेकिन सुरक्षा ढांचे में उतनी ही तेजी से सुधार नहीं हुआ है। बजट एयरलाइनों पर अधिक दबाव, ग्राउंड स्टाफ की सीमित संख्या और उपकरणों की नियमित मरम्मत न होना भी इन खामियों का कारण बन सकता है।

हम आपको बता दें कि निगरानी के तहत प्रमुख क्षेत्रों में शामिल हैं- उड़ान संचालन, एयरवर्थीनेस, रैम्प सुरक्षा, हवाई यातायात नियंत्रण (ATC), संचार, नेविगेशन और निगरानी (CNS) प्रणाली और उड़ान से पूर्व चिकित्सा परीक्षण। एक अधिकारी ने बताया, “निगरानी के दौरान ग्राउंड गतिविधियों और विमान की आवाजाही की बारीकी से निगरानी की गई ताकि नियामक आवश्यकताओं के पालन की जाँच की जा सके और सुधार के लिए कमजोर क्षेत्रों की पहचान की जा सके।” 

देखा जाये तो भारत जैसे तेजी से उभरते हुए देश में विमानन क्षेत्र का सुरक्षित और विश्वसनीय होना बेहद जरूरी है। यात्रियों की जान के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता। सरकार और एयरलाइनों को मिलकर एक मजबूत, पारदर्शी और जवाबदेह प्रणाली तैयार करनी होगी ताकि “आकाश में भारत” का सफर सिर्फ तेज़ ही नहीं, सुरक्षित भी हो। इसके लिए DGCA को नियमित और सख्त ऑडिट जारी रखना चाहिए। एयरलाइनों पर जुर्माना और लाइसेंस निलंबन जैसी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। यात्रियों को भी एयरलाइन की सुरक्षा रेटिंग और रिकॉर्ड के बारे में जानकारी होनी चाहिए। इसके अलावा, पायलट, इंजीनियर और ग्राउंड स्टाफ की नियमित ट्रेनिंग अनिवार्य की जानी चाहिए। साथ ही टेक्निकल लॉगबुक और रखरखाव रिकॉर्ड की डिजिटल निगरानी भी की जानी चाहिए। बहरहाल, यह अच्छी बात है कि डीजीसीए ने कहा है कि विमानन पारिस्थितिकी तंत्र में जोखिमों का पता लगाने के लिए भविष्य में व्यापक निगरानी जारी रहेगी।

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